चेक बाउंस केस (Cheque Bounce Cases - Section 138 of NI Act)

Cheque Bounce क्या है?

जब कोई व्यक्ति बैंक में जमा चेक की राशि उपलब्ध न होने की वजह से बैंक द्वारा भुगतान से इंकार कर दिया जाता है, तो इसे चेक बाउंस (चेक रिटर्न) कहते हैं।

चेक बाउंस केस का प्रावधान - सेक्शन 138, एनआई एक्ट, 1881

Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138 के तहत चेक बाउंस को दंडनीय अपराध माना गया है।

मुंबई में चेक बाउंस केस की प्रक्रिया:

  1. चेक रिटर्न नोटिस भेजना:

    • चेक बाउंस होने के बाद 30 दिन के अंदर चेक जारीकर्ता को लिखित नोटिस देना जरूरी होता है।

    • नोटिस में चेक बाउंस की जानकारी और भुगतान का अनुरोध करना होता है।

  2. नोटिस का जवाब:

    • चेक जारीकर्ता के पास नोटिस मिलने के बाद 15 दिन के अंदर भुगतान करना होता है।

    • यदि भुगतान नहीं करता है, तो मामला कोर्ट में दायर किया जा सकता है।

  3. एफआईआर और मुकदमा दर्ज करना:

    • भुगतान न होने पर, पीड़ित व्यक्ति/व्यक्ति मुंबई की स्थानीय कोर्ट में आपराधिक मामला (चेक बाउंस केस) दर्ज कर सकता है।

    • कोर्ट में चेक, बैंक स्टेटमेंट, और नोटिस की प्रतिलिपि सबमिट करनी होती है।

  4. सजा:

    • दोषी को छह महीने तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    • कोर्ट मामले की जांच कर निर्णय देता है।

चेक बाउंस केस के लिए जरूरी दस्तावेज:

  • बाउंस हुए चेक की मूल कॉपी

  • बैंक की रिटर्न स्लिप (चेक बाउंस प्रमाण पत्र)

  • लिखित नोटिस की कॉपी और उसकी प्रामाणिकता

  • चेक के भुगतान के लिए किए गए प्रयास के सबूत

मुंबई में चेक बाउंस केस के लिए सलाह:

  • मामले को जल्द से जल्द हल करने के लिए कानूनी सलाह लें।

  • नोटिस सही तरीके से भेजना और समय सीमा का पालन जरूरी है।

  • झूठे या गलत शिकायत से बचें, वरना जवाबी कार्रवाई हो सकती है।




No comments:

Post a Comment